मै इश्क कहूँगा, तुम "तुम" समझ लेना
मै इश्क कहूँगा, तुम "तुम" समझ लेना,
शब्दों में खोया, खामोशी से ढलता,
दिल की धड़कन में, तुमको सजाना है,
हर आहट में तेरा नाम बस दोहराना है।
मै चाँद कहूँगा, तुम रोशनी समझ लेना,
सपनों में डूबा, तुम्हें पाने की चाह,
अधूरी ख्वाहिशों में, पूरा तुझसे होना,
हर सहर में तेरा अक्स बन जाना है।
मै खामोशी कहूँगा, तुम एहसास समझ लेना,
बातें बिन बोले, दिल से दिल का सिलसिला,
तुमसे मिलकर ही ये जज़्बात पूरे हैं,
तेरे ही नाम से मेरा वजूद जुड़ा है।
मै इश्क कहूँगा, तुम "तुम" समझ लेना,
इस रूह के हर हिस्से में
तुमको बसा लेना।
- विजय कमल भालेराव
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